नितीश_मिश्र
राँची(खबर_आजतक): सरहूल पूजा की तैयारी को लेकर बुधवार को केन्द्रीय सरना समिति के केंद्रीय कार्यालय में बैठक रखी गई। इस बैठक की अध्यक्षता समिति के केंद्रीय अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने किया। इस बैठक में सरहुल पूजा को धूमधाम एवं शांतिपूर्ण ढंग से मनाने को लेकर चर्चा परिचर्चा हुई। केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि सरहुल त्यौहार प्राकृतिक पूजक आदिवासियों का सबसे बड़ा त्यौहार है। सरहुल पर्व चैत के महीने में होता है, सरहुल में प्राकृतिक की पूजा की जाती है साथ ही पेड़ – पौधे, पहाड़ ‐ पर्वत, नदी ‐ नाला, सूरज ‐ धरती आकाश ‐ पाताल एवं अपने पूर्वजों को पूजा पाठ करते हैं। राँची का सरहुल विदेशों में भी प्रसिद्ध है। सरहुल त्यौहार मनाने के लिए देश-विदेश से लोग राँची पहुँचते हैं।
अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष सत्यनारायण लकड़ा ने कहा कि सरहूल पर प्राकृतिक पूजक आदिवासियों का पवित्र त्यौहार है। सरना स्थल में पहान के द्वारा रूढ़िवादी परंपरा संस्कृति के अनुसार पूजा पाठ करें। उन्होंने सरकार से माँग किया है कि सरहूल पर्व को राजकीय पर्व घोषित करें एवं तीन दिनों की राजकीय अवकाश घोषित करें। साथ ही निर्मल पहान ने कहा कि 10 अप्रैल को उपवास एवं केकड़ा, मछली पकड़ना एवं पहान के द्वारा सरना स्थल में घड़ा में पानी रखकर पूजा पाठ किया जाएगा।
11 अप्रैल को सुबह पहान के द्वारा घड़े में पानी देखकर मौसम की भविष्यवाणी किया जाएगा एवं सरना स्थल में पूजा पाठ करने के बाद दोपहर 1:00 से सरहूल शोभायात्रा निकाली जाएगी।
इस मौके पर अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष सत्यनारायण लकड़ा, बिमल कच्छप, बाना मुण्डा, जयराम किस्पोट्टा, सोहन कच्छप, प्रमोद एक्का, सहायक तिर्की उपस्थित थे।